इसे आज एकैक फलन कहते हैं और ऐसा माना जाता है कि पहले इसका ही इस्तेमाल हुआ होगा फिर मनुष्य ने गिनती और अंको की कल्पना की.
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लेकिन एकैक फलन से कैंटर ने परिभाषित किया कि प्रकृतिक सख्याओं वाले अनंत अर्थात गिनती कर अनंत तक पंहुचने वाले अनंत और परिमेय संख्याओं के समुच्चय वाले अनंत भी एक ही है।
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लेकिन एकैक फलन से कैंटर ने परिभाषित किया कि प्रकृतिक सख्याओं वाले अनंत अर्थात गिनती कर अनंत तक पंहुचने वाले अनंत और परिमेय संख्याओं के समुच्चय वाले अनंत भी एक ही है।